हम अपने जीवन में पग-पग पर भांति-भांति के अनुभव पाते रहते हैं । उनमें से अधिकांश की अहमियत तात्क्षणिक अथवा अल्पकालिक ही रहती है, कभी घंटों के भीतर ही उनकी स्मृति लुप्त हो जाती है तो कभी कुछ दिनों तक वे स्मृतिपटल पर बने रहते हैं । किंतु देर-सबेर प्रायः सब भूल जाता है । फिर भी कुछ बातों की यादें लंबे अर्से तक मस्तिष्क में टिकी रहती हैं, भले ही वे ठीक-ठीक कब, कहां और कैसे घटीं यह स्पष्ट ध्यान में न आवे । एकांत में बैठे जब बीते काल पर दृष्टिपात किया जाये तो किसी एक या अन्य के धुंधले दर्शन मिल जाते हैं । ऐसी किसी घटना का यथातथ्य वर्णन तो संभव नहीं, पर उसका एक सार्थक खाका खींचा जरूर जा सकता है । ऐसे ही अनुभवों का कथा रूप में संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है । – योगेन्द्र
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Jindagi bas yahi hai {short story }